Thursday 14 May 2015

कुछ शब्द आज के लोगो पर


कितना आसान होता है आजकल लोगो का बदल जाना, बीते पलो की यादों को एक पल में भूल जाना |
कुछ यूँ गुज़रा है वक्त हमारा, ना रात थी हमारी ना दिन था हमारा, जानते है अब मुस्किल है लोट कर जाना |
जिनके सहारे यहाँ तक सफर तय हुआ है, आकर इस मोड़ पर उन्होंने भी ना पहचाना |
कुछ गुस्ताखी हमारी थी तो कुछ गुनाह उनका भी, थोड़ा समय लगेगा पर हो जायेंगे हम भी रवाना |
कितना आसान होता है आजकल लोगो का बदल जाना |

सिद्धार्थ

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