Thursday 15 October 2015

तू मिला न होता

सोचता हूँ गर तू मिला न होता ,
आज कुछ बातो का कोई सिला न होता |
अब जो चले गए हो, यहाँ से तुम 
रुकते तो हमें आज भी हमें गिला न होता |
वो बीते हुए दिन की बाते ,वो गुजरे हुए लम्हों की यादें ,
सब सिमटा है अंदर ही कहीं, वो हसीन जागी हुई रातें ..
भूलना आसान होता तो भी भूला न होता .
सोचता हूँ गर तू मिला न होता ,|

Wednesday 3 June 2015

यूँ तो जरुरत सभी को होती है हमारी , पर हमारी जरुरतो का क्या.?यूँ तो सबको खुशियां देता आ रहा हूँ मै , पर हमारी खुशियो का क्या .?वक्त आने पर पूछूंगा जरूर की कहाँ चले जाते है सब मेरे समय पर,सबके समय पर मै होता हूँ ,पर हमारे समय का क्या..?सुना था की वक्त के चलते रिश्ते बदल जाते है, लोग अजनबी भी हो जाते है , आज कल देख भी लिया .यूँ तो लोग कहते है की हर वफ़ा के बदले वफ़ा होती है ,पर हमारी वफाओ का क्या ?


Thursday 21 May 2015

 <><>ख्वाइशें<><> 

ख्वाइशें कुछ ऐसी थी मेरी की क्या बताऊ तुम्हें ,
कुछ पाने की चाह में बहुत कुछ छूट गया ,
खुदको मानते मानते वो हमसे रूठ गया ..
सोचा था एक दिन खुदबखुद सब सही हो जायेगा 
इस रिश्ते को बचाते बचाते हर रिश्ता टूट गया.
न कुछ सही हुआ न कुछ बदला ,,
हम उनके पीछे आर वो हमसे दूर गया ..
आज तक हम पीछे ही है उनके आर वो जाने कहाँ ...
ढूंढ़ता ही फिरता हु यहाँ से वहां ...
<><>सिद्धार्थ <><>

Thursday 14 May 2015

कुछ शब्द आज के लोगो पर


कितना आसान होता है आजकल लोगो का बदल जाना, बीते पलो की यादों को एक पल में भूल जाना |
कुछ यूँ गुज़रा है वक्त हमारा, ना रात थी हमारी ना दिन था हमारा, जानते है अब मुस्किल है लोट कर जाना |
जिनके सहारे यहाँ तक सफर तय हुआ है, आकर इस मोड़ पर उन्होंने भी ना पहचाना |
कुछ गुस्ताखी हमारी थी तो कुछ गुनाह उनका भी, थोड़ा समय लगेगा पर हो जायेंगे हम भी रवाना |
कितना आसान होता है आजकल लोगो का बदल जाना |

सिद्धार्थ