Thursday 15 October 2015

तू मिला न होता

सोचता हूँ गर तू मिला न होता ,
आज कुछ बातो का कोई सिला न होता |
अब जो चले गए हो, यहाँ से तुम 
रुकते तो हमें आज भी हमें गिला न होता |
वो बीते हुए दिन की बाते ,वो गुजरे हुए लम्हों की यादें ,
सब सिमटा है अंदर ही कहीं, वो हसीन जागी हुई रातें ..
भूलना आसान होता तो भी भूला न होता .
सोचता हूँ गर तू मिला न होता ,|

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