सोचता हूँ गर तू मिला न होता ,
आज कुछ बातो का कोई सिला न होता |
अब जो चले गए हो, यहाँ से तुम
रुकते तो हमें आज भी हमें गिला न होता |
वो बीते हुए दिन की बाते ,वो गुजरे हुए लम्हों की यादें ,
सब सिमटा है अंदर ही कहीं, वो हसीन जागी हुई रातें ..
भूलना आसान होता तो भी भूला न होता .
सोचता हूँ गर तू मिला न होता ,|
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